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महापुरुष- महानायक प्रतियोगिता भाग 02 लेखनी कहानी -01-Oct-2022 लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल

शीर्षक :- लौह पुरुष  सरदार बल्लभवाई पटेल
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    सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875  को गुजरात के नाडियाड में एक पटेल ( पाटीदार) परिवार में हुआ था। उनके पिताजी का नाम झबेलभाई पटेल माता का नाम लाडवा देवी था। वह अपने पिता की चौथी संतान थे।  सबसे बडे़ भाई सोमा भाई पटेल दूसरे नरसी भाई पटेल तीसरे विट्ठल भाई पटेल थे।

       उनके बचपन का नाम बल्लभ भाई पटल था। वह स्वतन्त्र भारत के पहले उप प्रधानमन्त्री व पहले गृहमन्त्री बने थे। उन्हौने प्रधानमन्त्री के पद से  दूरी बनाये रखी थी।

      वह भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के बरिष्ठ नेता  एवं भारतीय गण राज्य के संस्थापक थे। उन्होने स्वतन्त्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाई थी। उनको सरदार के नाम से जाना जाता है।

         उन्हौने महात्मा गान्धी के विचारौ से प्रेरित होकर  भारत के स्वतन्त्रता संग्राम  के आन्दोलन में भाग लिया था।

      उन्हौने सबसे पहले खेडा़ आन्दोलन में भाग लिया था। जब सन् 1918 में गुजरात का खेडा़ खण्ड  सूखे की चपेट में आगया था तब पटेल ने अंग्रेज सरकार से कर में छूट की मांग रखी थी। जब उनकी मांग मानने को अंग्रेज सरकार तैयार नहीं हुई तब उन्हौने आन्दोलन किया था। अन्त में सरकार  झुक गयी और  उनकी बात मांनली  थी ।

       इसके बाद गुजरात के बारडोली सत्याग्रह में भाग लिया था । सन् 1928 में अंग्रेज सरकार ने अचानक लगान 30%  कर दिया था। तब पटेल के नेतृत्व मे वारडोली सत्याग्रह हुआ  । आन्दोलन के फलस्वरूप सरकार को झुकना पडा़ था  और लगान  06.03% कर दिया । इसी आन्दोलन  के बाद उन्है सरदार की उपाधि मिली थी।

       इसके बाद पटेल स्वाधीनता संग्राम  में सक्रिय भूमिका निभाने लगे।और वह बहत बार जेल भी गये  थे। इस तरह वह  स्वाधीनता आन्दोलन में गान्धीजी के साथ सक्रिय भूमिका  निभाते रहे।

       15  अगस्त 1947 को जब भारत स्वतन्त्र हुआ तब वह गृह मन्त्री बने थे। उन्हौने सबसे पहले देशी रियासतौ को भारत में मिलाने का महत्वपूर्ण काम किया था। केवल हैदराबाद  स्टेट की रियासत को मिलाने हेतु सेना भेजनी पडी़ थी। इसी आन्दोलन के बाद वह लौह पुरुस कहलाये थे 

      वह स्वतन्त्र भारत मे अधिक दिन तक जीवित नही रह सके थे। उनकी ह्रदय गति रुकने के कारण   15 दिसम्बर 1950 को मौत होगयी थी उनको मरणोपरान्त भारत रत्न का पुरुस्कार दिया गया था।


     इस तरह के सभी महानायक व महापुरुषौ के चरणौ में हम नमन करते है।

महानायक/ महापुरुष प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "





    

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8 Comments

Gunjan Kamal

05-Oct-2022 06:49 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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नंदिता राय

03-Oct-2022 09:51 PM

बेहतरीन

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